शिर्डी साईं भगवान या एक और निर्मल बाबा

एक फिल्म आई थी अमर अकबर अन्थोनी, बहुत ही बढ़िया थी, उसमे एक गाना था जिसके बाद एक पाखंडी बहुत प्रसिद्ध हो गया था, फिल्म में गाना चलता है, गाना चलते हुए एक वृद्ध महिला अपने प्राण बचने के लिए भागती है और भागते भागते एक मंदिर में पहुच जाती है, जहा एक मुसलमान साईं की भक्ति करता है,

वैसे एक बात सोचने लायक है, ज़िन्दगी भर भगवान राम और कृष्ण को पानी पी पी कर गाली देने वाले मुसलमान आखिर साईं सम कैसे बोल लेते है, जो अपनी माँ के सगे नहीं होते वो साईं को अपना कैसे मान लेते है, जो हर मूर्ति पूजा करने वाले को मार डालने की बात को अल्लाह का हुकम कहते है वो ऐसे फकीर को क्यों मानते है, समझदार समझ गया है और बेवकूफ यही कहेगा की हिन्दू मुसलमान को मत लड़ाओ, अब ऐसे लोगो को फिर इतिहास बता कर मैं अपना समय ख़राब करूँगा, पर ऐसा नहीं होगा क्युकी आज की ये पोस्ट साईं के चमत्कारों का भंडा फोड़ने और खुद को हिन्दू और साईं भक्त साथ कहने वालो का असली सेकुलर चेहरा दिखने के लिए है,

तो मित्रो वो वृद्ध महिला जो अंधी होती है, उसकी आँखों में एक ज्योति साईं की आँखों से निकल कर समां जाती है और उसे दिखना शुरू हो जाता है,

ऐसे बहुत से चमत्कार है जिसे साईं भक्त देख कर चकित हो जाता है और अनायास ही साईं को अपना भगवान मान लेता है, तो पहला भांडा फूटता है साईं के सिरिअल का, सिरिअल में एक सीन आता है की कुछ लोग एक गड्ढा खोदते है और खोदते समय उसमे से चार दिए निकलते है, लोग उसे देख कर साईं का जयकारा लगते है और मन ही मन साईं की स्तुति करने लगते है,

ऐसा ही एक चमत्कार है साईं के द्वारा दिवाली के दिन पानी से दिए जलना, मैंने तो आज तक माता ज्वाला जी के यहाँ ही पानी में जोत देखि है, जो ५०० सालो से वही विराजित है, तो साईं भक्ति करने वाले अंध भक्त बताये की कहा गये वो दिए जो साईं ने पानी से जलाये थे,

पानी ख़तम हो गया था या सोडियम,, जी हाँ ये चमत्कार तो हमने भी किये थे दसवी क्लास में साइंस के प्रक्टिकल में, तो क्या मैँ भी भगवान् हो गया,

अब आगे चलते है साईं की भभूती पर, बहुत से लोग कहते है की साईं की भभूती से लोग ठीक होते है, तो मित्रो ऐसी एक भभूती तो सत्य साईं भी निकलता था, उसे भी लोग भगवान मानते थे पर भंडा फूटने के बाद उसने ये चमत्कार छोड़ दिया,

ऐसा ही एक चमत्कार है गरम खाने के बर्तन में हाथ डाल देना, तो अन्धो अगर साईं ने कोई लेप किया हो तो क्या ऐसे में उसके हाथ जले होंगे,

मैं दावे से कह सकता हु की साईं के समय में यदि फोटो कैमरा के साथ विडिओ कैमरा भी आ जाता तो आज ये पाखंड दिखने वाले के इतने भक्त न होते, और न ही साईं के नाम पर पैसा कमाने के लिए धर्म के ठेकेदार धर्म को हानि न पहुचाते,

यही नहीं बहुत से भक्त कहते है की साईं की पूजा करके ये मिला वो मिला, कृपा हो गयी सुख मिल गया,

तो कृपा तो हमारे निर्मल बाबा भी बाँट रहे है, उनको क्यों बेकार में बदनाम कर रहे है, वो भी तो कमाना चाहते है, उसके पेट पर क्यों लात मारी है,

इसका ये मतलब नहीं की मैं निर्मल बाबा का भक्त हुं ।

मैं हर उस पाखंड के खिलाफ हु जिसके कारण आज सनातन धर्म की दुर्गति हो रही है,

साईं के मंदिरों के नाम पर हजारो करोड़ो भक्तो को बेवकूफ बना कर उन्हें लूटा जा रहा है, जिसे देखो साईं साईं, ये देश राम का है कृष्ण का है, इन पाखंडी बाबाओ का देश नहीं है, वो सिर्फ इस देश को लूटना चाहते है, कृपा का धंधा बहुत जोरो पर है,

इसलिए सभी मित्रो से विनती है की ऐसे पाखंडियो को समझे, और किसी के कहने पर भगवान् न बनाये, चलते फिरते भगवान बनाने की इस प्रथा को बंद करे, सति प्रथा ख़तम हो गयी, पर्दा प्रथा भी दम तोड़ रही है, दुनिया चाँद पर पहुच गयी है और आप ऐसे पाखंडियो को भगवान् कह कर अपने कुल और नाम को मिटटी में मिला रहे है, खुद समझे और दुसरो को भी समझाए उसी बात पर साईं की एक और असलियत आपको बताता हु, आज मैंने रास्ते में साईं की एक पालकी देखि, साईं की पालकी के आगे पीछे, लोग बदहवास नाच गा रहे थे, जैसे इससे पड़ा महात्मा परमातम कोई नहीं है, वही दूसरी और जगन्नाथजी की भी रथ यात्रा निकल रही थी, भक्त उनके के रथ को खीच रहे है थे और आपने पापो का प्रायश्चित कर रहे थे दोनों यात्राओं में एक भिन्नता थी, साईं की पालकी को सड़क खड़े लोग प्रणाम भी कर रहे थे और पालकी के पास जाकर पैसे चढ़ा रहे थे जबकि जगन्नाथ जी की पालकी पर दूर से प्रणाम जैसे किनारा करने का मन हो, अब यही से शुरू होता है साईं और अन्य सनातनी भगवानो में श्रद्धा का अंतर, पहले शुरू करता हु

तिरुपति से – फरवरी महीने में मैंने पंजाब केसरी की एक खबर पढ़ी थी की साईं की चरण पादुका को तिरुपति देस्थानम ने मंदिर परिसर में आने से रोका, हुआ ये की साईं ट्रस्ट साईं की चरण पादुका को तिरुपति देवस्थानम ले जाना चाहता था ताकि वह के साईं भक्तो को उनके दर्शन करने का अभाग्य मिले, पर तिरुपति देवस्थानम ने ये कह कर मन कर दिया की साईं को चाहे लाखो लोग भगवान् माने पर असल में वो एक आम इंसान ही था और जिस व्यक्ति का वेद पुराणों में वर्णन न हो उसे किसी और के कहने पर भगवान कैसे मान लिया जाए,,

अब श्रीराम की महिमा

– श्री राम का जनम और उनकी जीवन कथा सभी जानते है, उन्होंने बहुत से राक्षसों का वध किया और धरती को उनके बोझ से मुक्त किया, पुरे चित्रकूट और दंडक वन में राक्षसों का भय था जो श्रीराम ने समाप्त किया और फिर रावण को मार कर तीनो लोको में शांति स्थापित करके धर्म पताका फहराई,

अब भगवान कृष्ण –

कृष्ण भगवान् ने भी ऐसे ही न जाने कितने राक्षसों को मार कर धर्म की रक्षा की, तड़का को मारा, बाणासुर के अत्याचार को ख़तम किया, कंस का संहार किया और महाभारत के युद्ध में धर्म की और से लड़ते हुए धर्म की रक्षा की यहाँ तक की धर्म के लिए उनका अपना वंश भी ख़त्म हो गया ।

पर क्या इनमे कही साईं का नाम है??? नहीं 

अवतार सभी जानते है हर अवतार ने किसी न किसी रूप में अधर्म का नाश करके धर्म की स्थापना की है, पर क्या किसी अवतार में साईं का नाम है, इन सभी के जरिये मैंने ये तो साबित कर दिया की साईं का किसी अवतार में कोई स्थान नहीं है,, तो क्या हम किसी भी ऐरे गिरे चलते फिरते को ऐसे ही भगवान मान लेते है, जो सुख साईं की भक्ति करके मिलता है क्या वो ऊपर दिए इन भगवान की भक्ति से नहीं मिलता, यदि ये सभी भगवान सच्चे है तो उतार दो अपनी आँखों से साईं का पट्टा, और फेक दो उनकी समाधी को अरब सागर में, अगर नहीं कर सकते तो फिर कभी इन भगवान् के साथ साथ साईं का नाम मत लगाना, या तो इनको अपने घरो में रखो या साईं को, फैसला आपका, अब भी नहीं समझे तो आगे और लेख है,

4 Jul 2015

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