साई पूजना सचमुच भक्ति या अन्धविश्वास की पराकाष्ठा??????
यह पोस्ट केवल कट्टर हिन्दुत्व का दम्भ भरने वाले उन लोगों से एक प्रश्न हैं जो साई को पूजते हैं और खुद को कट्टर हिन्दुवादी भी कहलाना पसन्द करते हैं. कृप्या वही लोग इस पोस्ट का हिस्सा बनें.]]
सबसे पहले कट्टरवाद तो वही है जो सिर्फ़ अपने ईश्वर, धर्म और संस्कारों में विश्वास रखे. जैसे कि मुस्लिम. मुस्लिम सम्प्रदाय को हमारे हिन्दु भगवा वस्त्रों, तिलक, मंदिरों की घंटियों, पूजा ध्वनियों इत्यादि सभी चीजों से नफ़रत है. ऐसी कोई हिन्दु वस्तु नही जिसे वे सम्मान की दृष्टि से देखें. और हम हिन्दु सुबह उठते ही एक ऐसे बाबा को पूजते हैं जो केवल मुल्ला वस्त्र ही धारण करता था. जो हमेशा मुल्ला टोपी धारण करता था. कुल मिलाकर उसके आचरण या पहनावे में कुछ भी हिन्दु था. तो हम कट्टर हिन्दुवादी कैसे हो सकते हैं?????
क्या हमारे हिन्दु धर्म के किसी एक संत का नाम मेरे कट्टर हिन्दु मित्र बता सकते हैं जिसे मुसलमानों ने स्वीकार किया हो????
साई जिसका सबसे बड़ा संदेश यही था – “सबका मालिक एक” लेकिन कौन आज तक नही पता चला. मेरे अनुसार उनका इशारा अल्लाह की तरफ़ होगा क्योकि उनका पहनावा-आचरण व्यवहार सब मुस्लिम ही था और वह रहते भी मस्जिद में ही थे तो अनुमान यही कहता है.
अब उनके संदेश को दूसरे तरीके से समझने की कोशिश करते हैं. – “सबका मालिक एक” मतलब हिन्दु, मुस्लिम, क्रिश्चिन इत्यादि सभी धर्मों के मालिक एक ही है तो ये धर्म के बीच लड़ाई क्यों?????
सभी लोग भाई-बधुत्व के साथ प्यार से रहो. सभी धर्मो को पूजो. क्योंकि आपके साई के अनुसार सभी धर्मो का मालिक एक है. यदि अब भी आपकी कट्टरता सभी धर्मो को मानने को नही कहती तो आप साई का अनुसरण नही कर रहे. तो क्यों मानते हैं साई को???????
कोई उन्हें
का अवतार मानता है, कोई राम का तो कोई शिव का. मतलब वो हिन्दु भगवान के अवतार थे. तो मस्जिद में क्या करते थे? मन्दिर में क्या परेशानी थी उन्हें? मतलब साफ़ है कि वो भी सेकूलर थे.
(लेकिन मेरा मानना है कि वो सिर्फ़ मुस्लिम धर्म ही मानते थे) सभी धर्मो को मानते थे. तो आप क्यों हिन्दुत्व का ड़ंका पीटते हैं? उनके आदर्शो पर क्यों नही चलते????
बन जाईये सेकूलर जैसा की आपके साई ने सिखाया है- “सबका मालिक एक” और अगर आपका भी मानना है कि सबका मालिक एक तो आप कट्टर धार्मिक नही है. हमारे किसी भी हिन्दु देवी-देवता ने जब भी इस पृथ्वी पर अवतार लिया लोगों को पाप और आतंक से मुक्ति दिलाई. बिना पाप का सर्वनाश किये पृथ्वी नही छोड़ी. जब पृथ्वी चारों ओर से सुरक्षित हो गई तब उन्होंने अपने धाम को प्रस्थान किया. साई ने जब पृथ्वी पर जन्म लिया तो पूरा भारत उस समय अंग्रेज़ो के डंडे खा रहा था. भारत माता गुलामी की बेड़ियों में जकड़ी थी. हजारो गोमातायें रोज कटती रही. ये बचाना तो दूर उनके खिलाफ़ कभी एक शब्द तक नही बोला. आखिर क्यों ????
जबकि हमारे जितने भी हिन्दु संत सन्यासी हुये सभी ने कुरीतियों के खिलाफ़ आवाज उठाई. उसे समाप्त करने के लिये अपने सुखों की भी परवाह नही की. देश और समाज के लिये जीये और देश और समाज के लिये ही प्राण त्याग दिये.
साई ने समाज से कौन सी कुरीति को दूर किया. क्या किया देश और समाज के लिये??????
आखिर क्यों देश को गुलामी के हालत में छोड़ गये????? अब यदि आप कट्टर हिन्दुवादी हैं तो हिन्दु धर्म ग्रंथो को भी पूजते व मानते होंगे?
स्कन्द पुराण के षष्ठम् अध्याय में स्पष्ट लिखा है कि कलयुग को समाप्त करने के लिये भगवान श्रीविष्णु अपना 10वां व आखिरी ”कल्कि अवतार” लेंगे.
लेकिन किसी भी हिन्दु धार्मिक ग्रंथ में साई का जिक्र नही है????
(अगर है तो कृप्या एक प्रति मुझे भी उपलब्ध कराने की कृपा करें ) ग्रंथ लिखने वाले ऋषि मुनि यदि साई के बाद के घटनाक्रमों का उल्लेख पुराणों में कर सकते थे तो साई का क्यों नही????
मतलब साफ़ है कि साई का अवतारवाद से कोई वास्ता नही था और ना ही वह कोई संत था. संत वही होता है जो लोगो को भगवान से जोड़े , संत वो होता है जो जनता को भक्तिमार्ग की और ले जाये, संत वो होता है जो समाज मे व्याप्त बुराइयों को दूर करने के लिए पहल करे.
इस साई नाम के मुस्लिम फकीर ने जीवन में कभी भी हमारे राम या कृष्ण का नाम तक नहीं लिया और हम इस साई की काल्पनिक महिमा की कहानियो को पढ़ के इसे भगवान मान रहे हो.
कितनी विचित्र मानसिकता है हम हिन्दुओं की. मेरे अनुसार तो यह एक भयानक मूर्खता है.
इससे पता चलता है कि महान ज्ञानी ऋषि मुनियो के वंशज आज मूर्ख और कलुषित बुद्धि के हो गए है कि उन्हे भगवान और एक साधारण से मुस्लिम फकीर में फर्क नहीं आता…..
साईं के कुछ मुर्ख भक्त है जो साईं कटुवे को शिव राम या कृष्ण ने जोड़ रहे है और अपने सनातन धर्म का मखोल उड़ा कर पूरी दुनिया में सनातन धर्म को बदनाम कर रहे है, ऐसे साईं भक्तो को मेरा खुला चैलेंज, हिम्मत है तो साईं को हिन्दू साबित करे भगवान की बात तो बहुत दूर की है, ऐसे साईं भक्तो को मेरी सलाह, क्या ये साईं राम शिव से बड़ा हो गया,
क्या साईं की पूजा करने वालो को ये पता है की सनातन धर्म में किस विग्रह की पूजा होती है किसकी नहीं??
क्या साईं भक्ति को पता है की सनातन धर्म में विग्रह स्थापना का क्या विधान है??
क्या सनातन धर्म भगवान् की तरह गुरु की पूजा करने की अनुमति देता है, जैसे की कुछ लोग इसे सिर्फ गुरु बता रहे है. साईं भक्तो को सलाह की वो अपनी आखे खोले और इस साईं की पूजा को बंद करके सनातन धर्म के असली स्वरुप को पहचाने,
जय श्रीकृष्ण…….
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