सदी का सबसे बड़ा पाखंड – शिर्डी साईं
साई बाबा की मार्केटिंग करने वालो ने या उनके अजेंटों ने या सीधे शब्दो मे कहे तो उनके दलालो ने काफी कुछ लिख रखा है।
साई बाबा की चमत्कारिक काल्पनिक कहानियो व गपोड़ों को लेकर बड़ी बड़ी किताबे रच डाली है।
स्तुति, मंत्र, चालीसा, आरती, भजन, व्रत कथा सब कुछ बना डाला… साई को अवतार बनाकर, भगवान बनाकर, और कही कही भगवान से भी बड़ा बना डाला है… किसी भी दलाल ने आज तक ये बताने का श्रम नहीं किया कि साई किस आधार पर भगवान या भगवान का अवतार है ?
जब भगवान का अवतार है तो हिन्दूधर्मग्रंथो के आ धार पर ही तो तय होगा न कि अवतार है या नहीं? भगवान श्रीकृष्ण जी द्वारा कही गयी गीता जी में श्री कृष्ण ने अवतार लेने के कारण और कर्मो का वर्णन करते हुये कहते हैँ कि —
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम । धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि यूगे यूगे ॥
अर्थात, साधू पुरुषो के उद्धार के लिए, पापकर्म करने वालो का विनाश करने के लिए और धर्म की स्थापना के लिए मे युग-युग मे प्रकट हुआ करता हू।
भगवान श्रीकृष्ण जी द्वारा कहे गए इस श्लोक के आधार पर देखते है कि साई कितने पानी में है —
(1) साई अवतार ने किन साधु पुरुषों का उद्धार किया ?
(2) तथा साई अवतार ने कौन से पाप कर्म करने वालों का विनाश किया ?
(3) और साई अवतार ने कौन से धर्म की स्थापना की ?
साई ने पानी के दिये लगाये । लेकिन यह तो भक्तिभाव में कही गई बाते हैं, इनमें तथ्य कहां है? इतिहास अलौकिक बातों से नहीं बनता। ऐसी बातें करने वालों को झूठा माना जाता है और ऐसे ही लोग तो धर्म की प्रतिष्ठा गिराते हैं।
[A] परित्राणाय साधूनां (साधु पुरुषो के उद्धार के लिए ) – यदि ये कटोरे वाला साई भगवान का अवतार था तो इसने कौन से सज्जनों का उद्धार किया था? जब कि इसके पूरे जीवनकाल मे ये शिरडी नाम के पचास-सौ घरो की बाड़ी (गाँव) से बाहर भी न निकला था..और इसके मरने के बाद उस गाँव के लगभग आधे लोग भी बेचारे रोगादि प्रकोपों से पीड़ित होके मरे थे…यानि विश्व भर के सज्जन तो क्या अपने गाँव के ही सज्जनों का उद्धार नहीं कर पाया था….
उस समय ब्रिटिश शाशन था, बेचारे बेबस भारतीय अंग्रेज़ो के जूते, कोड़े, डंडे, लाते खाते गए और साई महाराज शिरडी मे बैठकर छोटे-मोटे जादू दिखाते रहे, किसी का दुख दूर नहीं बल्कि खुद का भी नहीं कर पाये आधे से ज्यादा जीवन रोगग्रस्त होकर व्यतीत किया और अंत मे भी बीमारी से ही मरे ।
[B] विनाशाय च दुष्कृताम ( दुष्टो के विनाश के लिए) – साई बाबा के समय मे दुष्ट कर्म करने वाले अंग्रेज़ थे जो भारतीयो का शोषण करते थे, जूतियो के नीचे पीसते थे , दूसरे गोहत्यारे थे, तीसरे जो किसी न किसी तरह पाप किया करते थे, साई बाबा ने न तो किसी अंग्रेज़ के कंकड़ी-या पत्थर भी मारा, न ही किसी गोहत्यारे के चुटकी भी काटी, न ही किसी भी पाप करने वाले को डांटा-फटकारा। अरे बाबा तो चमत्कारी थे न पर अफसोस इनके चमत्कारो से एक भी दुष्ट अंग्रेज़ को दस्त न लगे, किसी भी पापी का पेट खराब न हुआ….
यानि दुष्टो का विनाश तो दूर की बात दुष्टो के आस-पास भी न भटके।
[C] धर्मसंस्थापनार्थाय ( धर्म की स्थापना के लिए ) – जब साई ने न तो सज्जनों का उद्धार ही किया, और न ही दुष्टो को दंड ही दिया तो धर्म की स्थापना का तो सवाल ही पैदा नहीं होता..
क्यो कि सज्जनों के उद्धार, और दुष्टो के संहार के बिना धर्म-स्थापना नहीं हुआ करती। ये आदमी मात्र एक छोटे से गाँव मे ही जादू-टोने दिखाता रहा पूरे जीवन भर…
मस्जिद के खण्डहर मे जाने कौन से गड़े मुर्दे को पूजता रहा…। मतलब इसने भीख मांगने, बाजीगरी दिखाने, निठल्ले बैठकर हिन्दुओ को इस्लाम की ओर ले जाने के अलावा ,
उन्हे मूर्ख बनाने के अलावा कोई काम नहीं किया….
कोई भी धार्मिक, राजनैतिक या सामाजिक उपलब्धि नहीं..
जब भगवान अवतार लेते है तो सम्पूर्ण पृथ्वी उनके यश से उनकी गाथाओ से अलंकृत हो जाती है… उनके जीवनकाल मे ही उनका यश शिखर पर होता है….
और इस साई को इसके जीवन काल मे शिरडी और आस पास के इलाके के अलावा और कोई जानता ही नहीं था…
या यू कहे लगभग सौ दौ सौ सालो तक इसे सिर्फ शिरडी क्षेत्र के ही लोग जानते थे….
आजकल की जो नयी नस्ल साईराम साईराम करती रहती है वो अपने माता-पिता से पुछे कि आज से पंद्रह-बीस वर्ष पहले तक उन्होने साई का नाम भी सुना था क्या? साई कोई कीट था पतंग था या कोई जन्तु … किसी ने भी नहीं सुना था ….
भगवान श्रीकृष्ण के वचनो के आधार पर ये सिद्ध हुआ कि साई कोई भगवान या अवतार नहीं था…इसे पढ़कर भी जो साई को भगवान या अवतार मानेगा या ऐसा मानकर साई की पूजा करेगा , वो सीधे सीधे भगवान श्रीकृष्ण का निरादर, और भगवान श्रीकृष्ण वाणी का अपमान कर रहा है….
श्रीकृष्ण का निरादर एवं उनकी वाणी के अपमान का मतलब है सीधे सीधे ईशद्रोह….
तो साई भक्तो निर्णय कर लो तुम्हें श्री कृष्ण का आश्रय चाहिए या साई के चोले मे घुसकर अपना पतन की ओर बढ़ोगे……….. जय जय श्रीकृष्ण
जिसमे थोड़ी सी भी अक्ल होगी उसे समझ मे आएगा कि ये लेख धार्मिक तौर पर स्पष्ट रूप से सिद्ध कर रहा है कि साई कोई भगवान या अवतार नहीं था…
अगले लेख मे सिद्ध करेंगे कि साई कोई संत या साधु या महापुरुष भी नहीं था…
सभी धर्मप्रेमी हिन्दू भाइयो से निवेदन है कि इस लेख को अपने नाम से कोई भी कही भी पोस्ट या कमेंट के रूप में कर सकता है….
अगर आपके एक कमेंट या पोस्ट से एक साईभक्त मुर्दे की पूजा छोडकर भगवान की और लौटता है तो आप पुण्य के भागी है……. जय श्रीकृष्ण
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